गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

भूले हुओं का गीत

कविता...✒

भूले हुओं का गीत

बरसों के बाद कभी
हम तुम यदि मिलें कही,
देखें कुछ परिचित से
लेकिन पहचाने ना।

याद भी न आये नाम,

रूप,रंग ,काम,धाम,
सोचें, यह सम्भव है-
पर,मन में मानें ना।

हो न याद, एक बार

आया तूफान, ज्वार
बंद, मिटे पृष्ठों को-
पढने को ठाने ना।

बातें जो साथ हुई,

बातों के साथ गयीं,
आंखें जो मिली रहीं
उनको भी जानें ना।

गिरिजा कुमार माथुर
(प्रख्यात साहित्यकार)

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