कविता...✒
भूले हुओं का गीत
बरसों के बाद कभी
हम तुम यदि मिलें कही,
देखें कुछ परिचित से
लेकिन पहचाने ना।
याद भी न आये नाम,
रूप,रंग ,काम,धाम,
सोचें, यह सम्भव है-
पर,मन में मानें ना।
हो न याद, एक बार
आया तूफान, ज्वार
बंद, मिटे पृष्ठों को-
पढने को ठाने ना।
बातें जो साथ हुई,
बातों के साथ गयीं,
आंखें जो मिली रहीं
उनको भी जानें ना।
गिरिजा कुमार माथुर
(प्रख्यात साहित्यकार)